देश के रखवालों तुम न रुको, बस चलते रहो!


इतनी नफ़रत, इतना द्वेष,
क्यों और किस लिए?
क्या चाहते हो, क्या मांगते हो,
जो दे नहीं पाता भगवान और यह देश?

हज़ारों शहीद हुए, हज़ारों की जाने गयीं,
रह गए पीछे सिर्फ अश्रु, रह गयीं पीछे सुनी कलाई,
हज़ारों अनाथ हुए, हज़ारों बेघर किये,
रह गए पीछे सिर्फ अश्रु और बुझे दिए,
क्यों लाना चाहते हो यह सैलाब,
जिसमें रह जाते हैं पीछे सिर्फ सुने दिल और टूटे ख़्वाब!

इतनी नफ़रत, इतना द्वेष,
क्यों और किस लिए?
क्या चाहते हो, क्या मांगते हो,
जो दे नहीं पाता भगवान और यह देश?

धर्म के रखवालों अब बस करो,
क्यों करते हो इतना बैर,
हम सब एक नहीं, पर हम सब इतने अलग भी नहीं,
क्यों नहीं पहचानते, क्यों नहीं समझते,
यह दुश्मनी, यह नफ़रत अपने दिल में जो समाये बैठे हो,
तुम्हें और तुम्हारों को भी ध्वस्त कर जाएंगी,
आंसू छलकते रहेंगे, ज़िंदगियाँ बर्बाद होती रहेंगी,
कुछ न मिलेगा द्रोह से और विद्रोह से !
धर्म के रखवालों अब बस करो!

इतनी नफ़रत, इतना द्वेष,
क्यों और किस लिए?
क्या चाहते हो, क्या मांगते हो,
जो दे नहीं पाता भगवान और यह देश?

देश के रखवालों तुम न रुको, बस चलते रहो,
न हार मानो, न टूट जाओ,
तुम्हारा साहस, तुम्हारी वीरता,
बस यही तो हमारा सहारा है,
यह देश, इसके लोगों का एक ही अंतिम चारा है,
देश के रखवालों तुम न रुको, बस चलते रहो!

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