पाप का घडा जब भर जाता है
भगवान का सामना करना पड़ जाता है

जुल्म बहुत करें हैं धरती पर
अब देना पड़ रहा है भारी कर

अब तो ठहर जाओ
अब तो रुक जाओ

बस करो परवानों
सहज जाओ दिवानो

लालसा की कोई सीमा नहीं
महतवकाषा की कोई कमी नहीं

कहां जाना है
कहां जाओगे
क्या चाहते हो
क्या पाओगे
जो पाया है सब खो दोगे

जब यह धरती नहीं
तो हम नहीं
संभल जाओ ठहर जाओ
एक नयी लहर ले आओ

यह गीत बहुत पुराना है
पर नया कुछ कर दिखाना है

अब तो ठहर जाओ
अब तो रुक जाओ

बस करो परवानों
सहज जाओ दिवानो

Comments

Popular posts from this blog

Beyond the Cover: The True Essence of Books

When Life Feels Unfair —And nothing seems to go your way

THE HUSTLE CULTURE! Are you in on it?